Menu
blogid : 9509 postid : 288

जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ

शंखनाद
शंखनाद
  • 62 Posts
  • 588 Comments

जन्म लिया है मानव का तो, मानवता भी दिखलाओ।
जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ॥
.
भोलेपन से विचरण करते, जीवों को खा जाते हो।
बिन माँगे ही चंडालों की, पदवी भी पा जाते हो॥
थोड़ा सा तो सोचो पहले, बिन सोचे न तन जाओ।
जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ॥
.
क्या कोई अनुताप नहीं है, दर्दभरी चित्कारों का।
या जीवन अधिकार नहीं है, उन बेबस लाचारों का॥
होते हो तुम कौन बड़े जो, रक्त से उनके सन जाओ।
जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ॥
.
अंतर के नैनों से देखो, प्यार बड़ा ही आयेगा।
निश्छल उन प्राणों का मुखड़ा, अंदर तक छू जायेगा॥
पाप छाँटनेवाली छलनी से दिन रहते छन जाओ।
जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ॥
.
फिरते बुद्धिमान बने भई, ये कैसी नादानी है।
फर्क नहीं आता है करना, कौन खून या पानी है॥
जाना है दुनिया से लेकर सत्कर्मों के धन जाओ।
जीवमाँस का भक्षण छोड़ो, शाकाहारी बन जाओ॥

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply