शंखनाद
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सड़क बुलाती है,
आओ…मेरा अनुसरण करो,
छोड़ो न कभी मुझे,
भटक जाओगे रास्ता,
मुश्किल हो जाएगा
मंजिल तक पहुँचना,
शायद असंभव भी ;
मैं मार्गदर्शिका हूँ, सुपथगामिनी हूँ,
मैं निरंतर हूँ, मैं अनंत हूँ,
मैं तुमसे पूर्व भी थी,
मैं तुम्हारे पश्चात भी हूँ,
तुम्हारा कार्य पूर्ण हो सकता है,
मेरा कभी नहीं होता,
मेरे लिए बस मेरे कर्म हैं,
मात्र मेरे कर्म,
चाहे दिन हो या रात,
सुबह या शाम ;
मेरी आत्मसंतुष्टि है
सबको मार्ग दिखाना,
उनके लक्ष्य तक पहुँचाना ;
मैं रत हूँ अपने कर्म में,
सदा रहूँगी,
जबतक ये सृष्टि है, ये ब्रह्माण्ड है,
मैं रुक नहीं सकती….कभी नहीं |
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