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श्री अन्ना हजारे जी के नाम एक पत्र…

शंखनाद
शंखनाद
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आदरणीय अन्ना हजारे जी

सादर चरण स्पर्श

लोकप्रिय सामाजिक मंच ‘जागरण जंक्शन’ के माध्यम से आप तक अपनी बात पहुँचाने की चेष्टा कर रहा हूँ. भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आपका समर्थन करते हैं, आपकी बोली में अपनी आवाज सुनते हैं, आपमें वीर सावरकर और भगत सिंह को देखते है. मैं भी उनमें से एक हूँ.

आपके द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलनों ने हमारे देश के बगीचे में लगे ‘भ्रष्टाचार’ नाम के वृक्ष को झकझोर के रख दिया है. इसके पोषकों की नींद हराम हो गई है. वो बेचैन हैं. हताशा में ग्रस्त होकर आप पर निष्फल प्रहार कर रहे हैं. वो नहीं जानते की प्रहार व्यक्ति को गिरा सकता है, विचार को नहीं और आप एक विचार बन चुके है.

आप देश में सशक्त लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर जो अभियान चला रहे हैं वो समय की मांग है. एक ऐसी इकाई का होना आज अत्यावश्यक है जो जाँच करने में हर स्तर पर किसी की मोहताज़ न हो. कोई सरकार या नौकरशाही उसे प्रभावित न कर सके. वो फैसले लेने में निष्पक्ष और दबाव से मुक्त हो. वो संविधान के दायरे में रह के संविधान का पालन सुनिश्चित करते हुए ‘भ्रष्टाचार’ नाम की कील को हमारे देश की प्रगति के दरवाजे से उखाड़ फेंके. अतः ऐसी व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए.

लेकिन यहीं पर एक अनुरोध इस देश का युवा होने के नाते मैं आपसे करना चाहता हूँ की कोई भी व्यवस्था चाहे वो कितनी भी अच्छी क्यों न हो अगर व्यावहारिक रूप में जमीनी स्तर पर कार्यान्वित न हो तो उसका होना या न होना कोई मूल्य नहीं रखता. हमारे देश में ऐसी संस्थाओं की कोई कमी नहीं है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच करती हैं परन्तु परिणाम सबके सामने है. भ्रष्टाचार घटने के बजाये बढ़ता जा रहा है. इसलिए सही कार्यान्वन बहुत महत्व रखता है किसी भी एजेंसी की सफलता के लिए. इसको भी सुनिश्चित करने का प्रबंध आपको करना चाहिए.

आज व्यावहारिक तौर पर हमारे देश में भ्रष्टाचार को सामाजिक स्वीकृति मिल चुकी है. जिसकी नौकरी ‘रिश्वत वाली’ होती है उसका रुतबा ही समाज में उसके अपने स्तर पर अलग होता है. माँ-बाप अपनी बेटियों की शादी में उस लड़के को प्राथमिकता देते है जिसकी ‘उपरी कमाई’ होती है. वस्तुतः ये वो तत्व हैं जो भ्रष्टाचार ख़त्म करने में सबसे बड़े बाधक हैं. समझ नहीं आता की कौन सी व्यवस्था इस प्रवृति को दूर करेगी.

लोग आपकी तुलना महात्मा गाँधी से करते हैं. महात्मा गाँधी ने देश को अंग्रेजों से आज़ादी दिलाई. उनके साथ सहयोग करने के लिए सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु और मौलाना आजाद जैसे नेता थे. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आपके साथ कौन है? आप फिर भी संघर्ष कर रहे हैं. आपके जज्बे को सलाम करता हूँ.

अनवरत प्रयास हैं
लग रहे कयास हैं,
दूर होगा भ्रष्टाचार
हमें ये विश्वास है.

अपनी इन पंक्तियों के साथ अपना ये पत्र समाप्त करता हूँ. जागरण जंक्शन को धन्यवाद, जिसने मुझे अपनी बात रखने का मौका दिया. भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की स्थापना की इच्छा के साथ

प्रणाम.

द्वारा :- कुमार गौरव

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