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युवा प्रधानमंत्री – देश और समय की मांग…

शंखनाद
शंखनाद
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आज जब हमारा देश निरंतर प्रगति के पथ पर जाता हुआ दिख रहा है, हर रोज एक नयी उपलब्धि हमारे देश को गर्वित कर रही है, चाहे वो रक्षा के क्षेत्र में हमारी नयी मिसाइल तकनीकें हों या फिर अंतरिक्ष विज्ञानं के क्षेत्र में हमारी नित नयी सफलताएं, वैश्विक स्तर पर हमारा बढ़ता जलवा हो या आर्थिक दुनिया में हमारी धमक, हर स्तर पर हम आगे जा रहे है. आज हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

लेकिन फिर भी इतनी उपलब्धियों के बावजूद क्या वजह है की हम कहीं न कहीं पिछड़ते जा रहे हैं. चाहे वो बढती गरीबी हो या अनियंत्रित हो चुकी जनसँख्या. लाख प्रयासों के बावजूद प्रतिभाओं का पलायन हम रोक नहीं पा रहे. शहरों पर बढ़ता जनसँख्या का बोझ, बेरोजगारी का राज, इन सबसे बड़ी भ्रष्टाचार की समस्या, और तो और आये दिन हो रहे आतंकवादी और नक्सली हमले, ये सब वो चीजें हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं की आखिर हमारे देश का ‘विकास’ हो रहा है या ‘विनाश’ ?

सोचने की बात ये है की आखिर गलती कहाँ हो रही है ? कहाँ पर हमसे चूक हो रही है ? क्या हमारा नेतृत्व अक्षम है ? या उनमें इच्छाशक्ति की कमी है ? तो इसका सीधा और निष्पक्ष जवाब होगा ‘बिलकुल नहीं’. हमारे देश का नेतृत्व पूरी तरह से सक्षम और योग्य है जो हर परिस्थिति का डट कर सामना कर सके. लेकिन यहीं पर एक अंतर नजरिये और सोच का सामने आ जाता है. हमें उन नीतियों की, उन कानूनों की आज समीक्षा की जरूरत है जो आज से ५० साल पहले तक प्रासंगिक थे लेकिन आज अपनी धार खो चुके हैं. हमें हर क्षेत्र की बदलती चुनौतियों से रूबरू होना होगा और उनमें सामंजस्य बिठाना होगा. हमें नवाचार की जरूरत को समझना होगा और उनका व्यवहारिक उपयोग करना होगा. हमें नयी दुनिया की भावनाओं को समझते हुए फैसले लेने होंगे, और ये कार्य अगर युवा हाथों से हो तो क्या कहने. क्योंकि एक युवा ही बदल चुके वक्त को बेहतर तरीके से समझ सकता है. उसमें वो सारी चीजें होती हैं जो नए वर्ग के नए देश को न सिर्फ चला सके बल्कि बेहतर ढंग से आगे ले जा सके. आज हमारे देश को एक युवा प्रधानमंत्री की जरूरत है जो नए देश की नयी रगों में ताजे खून का संचार कर सके. देश को उन समस्याओं से निजात दिलाये जो देश की प्रगति में रोड़ा बने हुए हैं. सरकार किसी भी पार्टी की बने मगर नेतृत्व और कार्यकारी तंत्र युवा होना चाहिए यही आज समय की मांग है.

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