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प्यार और तकरार: पति-पत्नी की

शंखनाद
शंखनाद
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पति-
“जानेमन, तू है मेरी जान”,
पत्नी-
“हाय,मैं तेरे कुर्बान”,

पति-
“जानशीं, तू दे हुकम
तो ला दूं मैं चाँद”
पत्नी-
“लाना फिर, पहले ला दे
रसोई से सलाद”

पति-
“तेरे रूप की कैंची से
घायल हुआ जिगर”
पत्नी-
“जाओ डॉक्टर के पास
कुछ तो करो फिकर”

पति-
“कल ऑफिस में आई
एक सपनों की रानी,
मुझसे आकर बोली,
मैं तेरी दीवानी”
पत्नी-
“हाय, बेचारी करमजली,
वो भी फँस जाएगी,
बाल्टी भर रो खिड़की से
कूद के मर जाएगी”

पति-
“मेरे भी दुर्भाग्य बड़े
मिला न कोई दहेज़”
पत्नी-
“मैं ही मिल गई
भाग्य मनाओ,
मुझे ही रखो सहेज”

पति-
“तू लगती फूलों जैसी
मैं हूँ तेरा शबाब”
पत्नी-
“जाओ न मारो मस्का
बड़े ‘वो’ हो जनाब”

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