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हम कहाँ आ गए

शंखनाद
शंखनाद
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kg70

Antaratma
जाना था करीब
कितनी दूर आ गए,
आँखें खुली तो सोचा
हम कहाँ आ गए.

अपने जो थे
लगते हैं पराये,
खोये खोये से
सब कुछ भुलाये.

दीवानगी है बस
ऊँचाइयों की,
मिली है कश्ती
परछाइयों की.

इंसानियत राहों में
गिरा आ गए,
आँखें खुली तो सोचा
हम कहाँ आ गए.

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